जनसत्ता की खबर के मताबिक इंडियन काउंसिल आफ रिसर्च के डॉक्टर  गंगाखेडकर ने एनडीटीवी को बताया कि 80 फ़ीसदी मामलों में लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं ऐसे में संक्रमितों की पहचान करना सबसे मुश्किल काम है।

ऐसा इसलिए होता है कि बहुत से लोगों  की इम्युनिटी मजबूत होतीहै और उन्हें वायरस का संक्रमण होता है तो उनके शरीर की इम्युनिटी शरीर को प्रभावित नहीं होने देती।

लेकिन यह बहुत खतरनाक है, इसलिए कि इम्युनिटी मजबूत होने की वजह से वायरस का असर उस व्यक्ति तो नहीं पड़ेगा मगर वह दूसरों को संक्रमित ज़रूर कर सकता है, अगर ऐसा होगा तो संक्रमण की चैन पकड़ना असंभव होगा, तो इसका सिर्फ एक रास्ता ही बचता है कि तमाम लोगों की टेस्टिंग की जाए, जो नामुमकिन सी बात है।

तो क्या बहुत मुश्किल समय आने वाला है? अगर टेस्टिंग की रफ्तार और तेज़ और ज़्यादा व्यापक न हुई तो शायद...........